नेत्रदान के इंतजार में हैं पचास लाख लोग

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pg-15आपके प्रयास से नेत्रहीनों की दुनिया हो सकती है खूबसूरत

दुनिया बेहद खूबसूरत है। कल-कल बहती नदी, हरियाली से भरे पहाड़ों को देखकर देखते ही गजब सा आनंद होता है। आस-पास की हर चीज का सौंदर्य जिंदगी में खुशी के रंग बिखेरता है। यह एहसास दिलाने का काम आंखें करती हैं। लेकिन, क्‍या आपने कभी सोचा है कि आंख के बिना ये सब कुछ कैसा महसूस होगा? आप सिर्फ दो मिनट आंखों में पट्टी बांधें। हर तरफ अंधेरा होगा और दुनिया का सौदर्य बेकार लगेगा। देश में अच्‍छी खासी संख्‍या  में ऐसे लोग हैं, जिनकी जिंदगी में ऐसा अंधेरा है। ये नेत्रहीन हैं।  इनमें से लगभग पचास लाख लोगों को अगर नेत्रदान से कॉर्निया मिल जाए, तो उनकी जिंदगी रोशन हो सकती है। जरूरत इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्रसारित करने की है।

इस दुनिया में हर पांच सेकेन्‍ड में एक व्‍यक्ति दृष्टिहीन हो जाता है, जबकि 89 प्रतिशत बच्‍चों में दृष्टिहीनता 5 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है। 90 प्रतिशत दृष्टिहीन बच्‍चे स्‍कूल नहीं जा पाते है। आखों का महत्‍व समझकर ही हम सभी इसकी सुरक्षा करते हैं। लेकिन कुछ लोग ही दूसरों के नेत्र के बारे में सोच पाते हैं। आंखें जिंदगी भर हमारी जिंदगी में रोशनी भरती है और मरने के बाद भी किसी और का अंधेरा हटा सकती है। लेकिन जब नेत्रदान की बात आती है, तो अंधविश्‍वास की वजह से बहुत से लोग पीछे हट जाते हैं। उन्‍हें लगता है कि ऐसा होने पर अगले जन्‍म में अंधे पैदा होंगे। जबकि असलियत में यह सबसे बड़े पुण्‍य का काम है। नेत्रदान से आपके न रहने पर भी आपकी आंखें देख सकेंगी।

नेत्रदान की गंभीर जरूरत को समझते हुए हर साल 25 अगस्‍त से 8 सिंतबर तक नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है। आप भी नेत्रदान की प्रतिज्ञा लेकर लोगों में जागरूकता फैला सकते हैं। इस एक कदम से किसी की जिंदगी आबाद हो सकती है।

सभी धर्मों में दान, दया और परोपकार की मानवीय भावनाएँ सिखाई जाती हैं। यदि हम नेत्रदान करके मरणोपरांत किसी की निष्काम सहायता कर सकें तो ऐसा अपने धर्म का पालन करेंगे। इसमें कोई भी स्वार्थ नहीं है इसलिये नेत्रदान को महादान माना जाता है।

नेत्रदान की जागरूकता के लिए आंखों की संरचना और नेत्रदान की प्रक्रिया जानना बेहद जरूरी है। दरअसल, हमारी आंखों का काला गोल हिस्सा ‘कार्निया’ कहलाता है। यह आँख का पर्दा है, जो बाहरी वस्तुओं का चित्र बनाकर हमें दृष्टि देता है। अगर कर्निया पर चोट लग जाए, इस पर झिल्ली फट जाए या इसपर धब्बे पड़ जायें तो दिखाई देना बन्द हो जाता है। देश में करीब 50 लाख लोग इस समस्या से पीड़ित हैं। इनके जीवन का अंधेरा दूर हो सकता है, यदि उन्हें किसी मृत व्यक्ति का कर्निया प्राप्त हो जाये। लेकिन डाक्टर किसी मृत व्यक्ति का कार्निया तब तक नहीं निकाल सकते जब तक कि उसके परिवार वाले मृतक का नेत्रदान कराने के लिए राजी न हो।

देश के सभी राज्‍यों में आई बैंक मौजूद हैं। लोगों में यह भी गलत धारणा है कि नेत्रदान के दौरान मृत व्‍यक्ति की पूरी आंख निकाल ली जाती है। सच्‍चाई है कि डॉक्‍टर केवल कॉर्निया ही निकालते हैं। मृत्यु के 6 घंटे के भीतर आखों से कॉर्निया ली जानी चाहिए। इसलिए नेत्र बैंक को सूचना देने में देर मत करिए। डॉक्‍टर के आने तक नेत्र पर हल्‍क्‍ी भींगी रुई रखें। इससे कॉर्निया खराब नहीं होती है। सूचना पाते ही नेत्र बैंक के डॉक्टर या प्रशिक्षित तकनीशियन दानकर्ता के घर आता है और कॉर्निया व रक्त का सैंपल लेता है। इससे चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती। इसके लिए कोई शुल्‍क नहीं लगता है।

नेत्र बैंक पहुँचने के बाद आँख के कार्निया की जाँच होती है। इसके बाद जल्‍द से जल्‍द प्रत्‍यारोपण के लिए कार्नियल सर्जन के पास भेज दिया जाता है। सफलता पूर्वक कॉर्निया प्रत्‍यारोपित होने के बाद नेत्रहीन व्‍यक्ति भी दुनिया को देख सकता है। एक व्‍यक्ति की दो कॉर्निया से दो नेत्रहीनों की जिंदगी में उजाला आता है। नेत्रदान में आँख का सिर्फ कार्निया या उसके पास का सफेद हिस्सा प्रत्यारोपित किया जाता है।

अंधेरी जिंदगी में प्रकाश लाने में आप भी मदद कर सकते हैं। मृत्यु होने की अवस्था में अपने प्रिय व्यक्ति की आँख दान कीजिए। कोई भी व्यक्ति, स्त्री अथवा पुरुष,किसी धर्म, जाति का हो, नेत्रदान कर सकता है। नेत्रदान की प्रतिज्ञा के बारे में पूरे परिवार को अवश्‍य बता देना चाहिए। ताकि मृत्‍यु के बाद परिवार के सदस्‍य आई बैंक को संपर्क कर सकें।

कार्निया की सेहत बाहरी कारण जैसे प्रदूषण, कम्प्यूटर का इस्तेमाल इत्यादि से लेकर अंदरूनी बीमारियाँ जैसे गठिया, कई प्रकार के एलर्जी इत्यादि से प्रभावित हो सकती है। कार्निया पर इन्फेक्शन से अल्सर बन सकता है। मोतियाबिंद या अन्य ऑपरेशन के दौरान कार्निया के अंदरूनी सेल्स नष्ट होने की अवस्था में पारदर्शिता एवं नजर कम हो जाती है। आँख में आँसू की कमी में कार्निया की कुदरती चमक व पारदर्शिता कम हो सकती है। इसलिए थोड़ी सी भी समस्‍या  होने पर तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।

कॉर्निया में इसलिए आती हैं खराबी

प्रकाश की किरणें कार्निया से होते हुए आँख में प्रवेश करती है और लैंस से होते हुए अंत में रेटिना (पर्दे) पर फोकस होती है। कार्निया की सतह पर आँसू एक महीन परत बनाकर रहते हैं और उसके पोषण के तत्व प्रदान करते हैं। कार्निया में अतिसूक्ष्म नसें (नर्व) होती हैं और वे इसे शरीर का सबसे संवेदनशील अंग बनाती हैं।

कार्निया की सेहत बाहरी कारण जैसे प्रदूषण, कम्प्यूटर का इस्तेमाल इत्यादि से लेकर अंदरूनी बीमारियाँ जैसे गठिया, कई प्रकार के एलर्जी इत्यादि से प्रभावित हो सकती है। कार्निया पर इन्फेक्शन से अल्सर बन सकता है। मोतियाबिंद या अन्य ऑपरेशन के दौरान कार्निया के अंदरूनी सेल्स नष्ट होने की अवस्था में पारदर्शिता एवं नजर कम हो जाती है। विटामिन ए की कमी, आँख में आँसू की कमी में कार्निया की कुदरती चमक व पारदर्शिता कम हो सकती है।

कार्निया की बीमारियाँ

  • शारीरिक बीमारी के कारण : गठिया, ड्राय आई, एलर्जी, लकवा, विटामिन ए की कमी इत्यादि।
  • इंफेक्शन : अल्सर (बैक्टीरिया, फंगस या वायरस द्वारा)
  • चोट के कारण सफेदी : चोट नुकीली चीज या एसिड या चूने जैसे केमिकल द्वारा।
  • ऑपरेशन पश्चात : मोतियाबिंद एवं अन्य नेत्र शल्यक्रिया के कॉम्प्लीकेशन पश्चात।
  • आकार की त्रुटि : केरेटोकोनस
  • अन्य : पैदाइशी सफेदियाँ, दवाओं के असर इत्यादि।

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