आगरा। नेत्रदान को बढ़ावा देने के लिए ‘दृष्टि 2015’ समारोह में शुक्रवार को फिल्मों का प्रीमियर और नाटक का मंचन हुआ। अंतरदृष्टि के तत्वावधान में डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में आयोजित इस समारोह में लघु 16 फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। इस अवसर पर सूरकुटी स्थित सूरदास नेत्रहीन विद्यालय के नेत्रहीन बच्चो ने एक नाटक अबे अंधा है क्या की प्रस्तुति करके अपने लिए स्मार्ट सिटी में जगह की मांग की।
नाटक के माध्यम से नेत्रहीनों ने स्मार्ट सिटी में अपनी जगह मांगी
नाटक ‘अबे अंधा है क्या’ का मंचन
‘अबे सालों, यहां काहे को बैठे हो, घर जाओ, नाटक खत्म हो गया, अंधे हो क्या।‘ इस संवाद के साथ 12 मिनट से सांसें रोककर बैठे दर्शकों को जैसे वास्तविकता का अहसास हुआ। ‘दृष्टि 2015’ के समापन समारोह में सूरदास नेत्रहीन विद्यालय, कीठम के छात्रों ने नाटक की प्रस्तुति के जरिए सभी सामाजिक मुद्दों पर जमकर कटाक्ष किया। खास तौर पर स्मार्ट सिटी में नेत्रहीनों के लिए क्या सुविधाएं होंगी, इस सवाल को बड़ी शिद्दत से उठाया।
नाटक में छात्रों ने संदेश दिया कि स्मार्ट सिटी में चौड़ी-चौड़ी सड़कें होंगी। ऊंची बिल्डिंगें होंगी, लेकिन इनमें मेरी कोई जगह न होगी। छात्रों ने प्रधानमंत्री के सूट पर भी कटाक्ष किया। कहा कि देश में विकास हो रहा है। समाज में विकलांग, गूंगे, बहरे और अंधे की जगह का ख्याल नहीं रखा जा रहा है।
दिल्ली से आए वरिष्ठ रंगकर्मी राकेश भारद्वाज के निर्देशन में प्रस्तुत नाटक ‘अबे अंधा है क्या’ में संतोष (हारमोनियम), रॉबिन सिंह (ढोलक),केशव, दीपक, रिंकू, शमीम, विकास, विक्रांत, अंकित और देवनाराययण ने भूमिका निभाई। नाटक के बाद इन छात्रों को सम्मानित किया गया।
नाटक के निर्देशक राकेश भारद्वाज ने बताया कि नाटक का डायलॉग, गीत नेत्रहीन बच्चों ने ही तैयार किया है। मात्र सात दिनों में ही बच्चों की प्रतिभा को दिशा दी गई और वे मंच पर बेहतरीन नाटक अबे अंधा है क्या का मंचन कर डाला।
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