रेटिनोब्लास्टोमा – बच्चों की आंखों का कैंसर
जागरूकता के अभाव में रेटिनोब्लास्टोमा के मामले बढ़ रहे हैं। भारत में हर साल 2000 केस ऐसे पाये गए हैं जिनमे 5 साल से कम के बच्चो में “रेटिनोब्लास्टोमा” (Retinoblastoma) पाया गया है।
रेटिनोब्लास्टोमा:
यह बच्चों की आँख में पाये जाने वाला कैंसर टियूमर है जो आँख के रेटिना में पनपने लगता है और मुख्यत पांच साल से कम की आयु वाले बच्चो में होता है, जोकि जीन में परिवर्तन के कारण या अनुवांशिक कारण से हो सकता है।
रेटिनोब्लास्टोमा लाइलाज नहीं:
बच्चों की आंखों में होने वाला दुर्लभ किस्म का कैंसर रेटिनोब्लास्टोमा लाइलाज बीमारी नहीं है। समय से पता चलने पर इसका इलाज संभव है। बच्चे की दोनों आंखों व दृष्टि को बचाया जा सकता है। परिजन को जानकारी नहीं होती है कि उनका बच्चा आंखों की किस बीमारी से पीडित है। पहले वे क्लीनिक इत्यादि के चक्कर काटते रहते हैं, बीमारी के अधिक बढ़ने पर उन्हें मालूम पड़ता है कि यह रेटिनोब्लास्टोमा है।
बीते वर्षो में आंखों के कैंसर का इलाज संभव नहीं था। आंखें ही निकालनी पड़ती थी, लेकिन अब परिदृश्य बदल गया है। रेटिनोब्लास्टोमा के 100 में से 90 फीसदी मामले ठीक हो रहे हैं।
रेटिनोब्लास्टोमा मुख्यत: दो प्रकार का होता है:
- यूनिलेट्रल (एकपक्षीय): यह मुख्यत एक आँख में ही होता है अब तक इसके 60 % केस पाये गए हैं जिनमें की 15% अनुवांशिक कारणों से एवं 45 % केस अन्य कारणों के हैं।
- बाइलेट्रल (दुतरफा): इसके अब तक 40% केस पाये गए हैं यह दोनों आँखों को प्रभावित करता है और इन सभी केसो के आनुवंशिक कारण पाये गए हैं।
रेटिनोब्लास्टोमा का पता अभिभावक बच्चे की दोनों आंखों का मध्यम रोशनी में फ्लैश से फोटो खींच कर लगा सकते हैं। अगर इसमें एक आंख लाल व दूसरी सफेद आए तो समझ जाइए कि बच्चा इससे पीड़ित है। रेटिनोब्लास्टोमा का टयूमर बच्चों की आंखों में तीन वर्ष की आयु से पहले पनप जाता है। क्लीनिक में बच्चे को बेहोश कर आंखों की जांच की जाती है।
रेटिनोब्लास्टोमा के लक्षण:
- बच्चो की आँख में होने वाले रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर टियूमर प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं।
- आँख पर रौशनी पड़ने पर पुतली का गुलाबी या सफ़ेद दिखाई देना।
- आँख में दर्द महसूस होना होना।
- आँख में अधिक लालपन आ जाना।
- दिखाई देने में समस्या का होना।
- आँखों का बाहर उभर अाना।
- आँखों से खून आना।
- दोनों आँखों की पुतली का रंग अलग अलग हो जाना।
रेटिनोब्लास्टोमा का इलाज:
सबसे पहले बच्चो का ब्लड टेस्ट कराने से इसके लक्षण पता लगते हैं। अगर बच्चा इस रोग से ग्रषित है तो शुरुवात में तो आँख की रेडियोथेरेपी और केमोथेरेपी से ही इसका इलाज किया जा सकता है। लेकिन अगर शुरुवात में ध्यान नही दिया तो अधिक देर हो जाने के कारण सर्जरी द्वारा आँख को हटाना या बदलना ही इससे बचने का इलाज है। कुछ इलाज इस प्रकार हैं।
“रेडियोथेरेपी” में अधिक ऊर्जा के रेडिएशन दवरा से रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर टियूमर को नष्ट किया जाता है।
“केमोथेरपी” में रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर टियूमर को दवाई के प्रयोग के दवरा नष्ट किया जाता है।
“थर्मोथेरपी” में तापमान बढ़ाकर रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर टियूमर ग्रसित सेल्स को हटाया जाता है।
“फोटोकोएगुलेशन” विधि में लेज़र तकनीक की मदद से इस टियूमर को नष्ट किया जाता है।