और ग्‍लूकोमा ने मेरे जीवन को अपने चंगुल में जकड़ लिया – दिव्‍या शर्मा

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और ग्‍लूकोमा ने मेरे जीवन को अपने चंगुल में जकड़ लिया

मैं दिव्‍या शर्मा अंग्रेजी में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हूँ। मैं ग्लूकोमा से पीड़ित हूँ। यहाँ मैं ‘काला मोतियाबिंद ने कैसे मेरे जीवन को अपने चंगुल में लिया’ के बारे में अपने अनुभव साझा करने जा रही हूँ।

जब मैं 3 साल की थी तभी मेरे माता-पिता को मेरी आंखों की रोशनी को लेकर शक हुआ। यहां यह बताना जरूरी होगा कि हम दो जुड़वा बहने है। जैसे कि हम जुड़वा है मेरे माता-पिता को यह एहसास हुआ कि मैं अपनी बहन की अपेक्षा कम सक्रिय हूँ। फिर एक दिन वो मुझे पास के नेत्र चिकित्‍सक के पास ले गये। डाक्‍टर ने बताया कि मेरी आंखों में कोई खराबी नहीं है और वह बहुत सुंदर है। अपने संदेह को दूर करने के लिए वह मुझे चंडीगढ़ ले गये। वहां डाक्‍टर ने बताया कि मरीज गंभीर रूप से काले मोतियाबिंद से पीड़ित है लेकिन अल्‍पायु में आंखों का ऑपरेशन करने में उन्‍होंने अपनी अस्मर्थता जताई। डाक्‍टरों ने बताया कि 60 प्रतिशत रोशनी जा चुकी है और इसलिए उन्‍होंने आंखों पर पड़ने वाले दबाव को निंयत्रित करने हेतु आंखों में डालने की दवा दी। दवा को दिन में कई बार प्रयोग किया जाना होगा। उन दिनों यह दवा सिर्फ दिल्‍ली में ही मिलती थी। इस पूरे परिदृश्य के बाद, अंत में, उम्मीद की एक किरण उभरी। मुझे दिल्‍ली में डा. एन.एन.सूद के पास ले जाया गया। यहां मैं यह बताना पंसद करूगीं कि डा. सूद को उंगलियों के जादूगर के नाम से भी जाना जाता है। डा. सूद ने मेरे माता-पिता को बताया कि मैं गंभीर काले मोतियाबिंद से प्रभावित हूँ और आंखों में दबाव को कम करने के लिए मेरी आंख का ऑपरेशन करना होगा। आंखों में पड़ने वाले दबाव को कम करने हेतु उन्‍होंने मेरी दोनों आंखों का ऑपरेशन किया। यह इतना गंभीर था कि दाई आंख से लेंस को निकालना पड़ा। एक सप्‍ताह के भीतर ही तरल पदार्थ बाहर निकलने के लिए जल निकासी चैनल बनाने हेतु मेरा दोबारा से ऑपरेशन हुआ, इस प्रकार दबाव बनना कम हुआ।

कुछ महीनों के बाद मेरी आंखों में संक्रमण हो गया और मुझे एक बार फिर ऑपरेशन करवाना पड़ा। दुर्भाग्‍य से डाक्‍टर सिर्फ 25 प्रतिशत रोशनी ही बचा पाये। बाद में, हमनें शुरू में एक सप्ताह में दो बार और फिर एक सप्ताह में एक बार जांच के लिए दिल्ली के लिए जा रहा शुरू कर दिया। कुछ समय बाद नियमित रूप से हमे हर तीसरे महीने जांच कराने के लिए कहा गया था। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सब कुछ नियंत्रण में है मैं आज भी नियमित रूप से 3 4 महीनें के बाद जांज के लिये जाती हूँ।

वर्तमान में मेरी आंखों में 75 प्रतिशत रोशनी नहीं है, यानि की मेरा विजन सिर्फ 25 प्रतिशत है। डाक्‍टरस ने मुझे बताया हुआ है कि मैं अपनी आंखों की अतिरिक्‍त देखभाल करू और जैसे ही मुझे पता चले की मेरी आंखे लाल हो रही है या उनमें से पानी आ रहा है या आंखों में चिपचिपाहट हो रही है, मैं उनको बताउ ताकि आंखों की बची हुई रोशनी को खराब होने से बचाया जा सकें।

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