एक दृष्टिहीन बालक का जीवन सामान्य कैसे बने

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जब दुनिया मे किसी घर मे एक दृष्टिहीन बालक जन्म लेता है या उन्‍हें पता चलता है कि उनका बच्‍चा दृष्टिहीन है तो उस घर पर निराशा के बादल छा जाते है। उस बालक के माता-पिता की चिंताए बड़ जाती है। उन्हे लगता है की अब उनका बालक कुछ नही कर पाएगा, उसका कोई भविष्य नही है। वह पढ़-लिख नही सखेगा, उसका पुरा जीवन ही अंधकार मे है।

इसी सोच के कारण बहुत से बच्चों का भविष्य अधिक कठीन हो जाता है। यह सोच हर माता-पिता ने बदलनी होगी, तो क्या हुआ उनका बालक दृष्टिहीन है, तो क्या हुआ उस के जीवन में बाधाए होगी, तो क्या हुआ उसे कठीनाईयों का सामना करना होगा..

ऐसी न जाने कई वजहों से अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों को घर से बाहर नही निकालते।

कभी – कभी माता-पिता को दृष्टिहीन बच्चों के स्कूलो की जानकारी नही होती, पर अब सरकार ने यह नियम बनाया है, की कोई भी दृष्टिहीन बालक सामान्य स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी कर सकता है। माता – पिता को सामान्य और दृष्टिहीन बच्‍चों के बीच कोई फरक नही करना चाहीए. क्योंकी अगर माता-पिता की सोच नही बदलेगी तो वह बच्चा आगे नही बढ़ पाएगा।

कोई भी क्षेत्र हो, अब हम पीछे नही है। पहले तो हम केवल ‎टीचर, प्रोफेसर या टेलीफोन आपरेटर बन पाते थे, पर अब नई नई तकनिकों के वजह से हम लोगों के लिए बहुत सारी नये रास्‍ते खुले है। आज दृष्टिहीन लोगों को बैंक, काल सेंटर, साफटवेयर कपंनीया, अपने यहा रोजगार के अवसर प्रदान कर रही है।

बच्चे के स्कूल से ही माता-पिता को उसे अपना सहयोग देना चाहिए। जैसे उसे सामान्य बच्चों के साथ घुलमिल देना। उसे पढ़ाई के दौरान पढ़कर सुनाना, उससे अलग-अलग विषयों पर विचारविमर्ष करना, उसकी राय लेना, उसे अपना कहने की पुरी आजादी देना, उसकी जरुरते पुरी करना पर यह ध्‍यान रखना की उसकी जरुरते दया मे परिवर्तीत न हो जाए यह भी जरुरी है। वह भविष्य में क्या बनना चाहता है, इस के लिए उसे प्रेरीत करना बहुत जरुरी है।

अक्‍सर ऐसा हो जाता है की, माता-पिता अपने सामान्य और दृष्टिहीन बच्चों में फरक करते है। ऐसा कभी नही होना चाहिए, क्योंकी एक सामान्य बच्चा और एक दृष्टिहीन बच्चा इन में कोई भिन्नता नही होती । बच्चे को एक सामान्य जीवन देना हर माता-पिता का करतव्य है।

एक दृष्टिहीन बच्चे को सामान्य जीवन जीने की शिक्षा देना और उस से भी घर के दुसरे बच्चों की तरह अपेक्षा करना हर माता-पिता की सोच होनी चाहीये।

हर माता-पिता की जीत तब होगी जब हर दृष्टिहीन बच्चा पढ़ – लिखकर आगे बढेगा और एक अच्‍छा इनसान बनेगा। अगर माता-पिता अपनी सोच बदल पाए, तो दृष्टिहीनों के प्रति समाज का दृष्टिकोण भी बदल जाएगा।

– निकिता पाटिल
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