काला मोतियाबिंद ठीक हो सकता है क्या?

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काला मोतियाबिंद से आंखों को पहुंचे नुकसान की भरपाई संभव नहीं है क्योंकि इसका ऑप्टिक नर्व पर स्थायी असर होता है।काला मोतियाबिंद ठीक हो सकता है क्या? नहीं, लेकिन यदि सही समय पर इलाज़ मिले तो आप्टिक नर्व को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और किसी किसी केस में रोका भी जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि प्रभावित व्यक्ति को इलाज किसी अच्छे नेत्न विशेषज्ञ की देखरेख नियमित रूप से हो। यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है।

काला मोतियाबिंद के इलाज़ के लिए क्या विकल्प उपलब्ध हैं?

सबसे बड़ा सवाल – काला मोतियाबिंद ठीक हो सकता है क्या? सामान्य तौर पर काले मोतियाबिंद से प्रभावित व्यक्ति को आई ड्रॉप्स, लेजर तकनीक या फिर ऑपरेशन के द्वारा रोकने का प्रयास किया जाता हैं। नेत्न चिकित्सक प्रत्येक मरीज को उसकी की स्थिति के अनुसार ही इलाज तय करते है।

इसके इलाज़ का प्राथमिक उद्देश्य आंखों के दवाब को कम करना होता है। यह ग्लूकोमा के प्रकार पर निर्भर करता है कि आंखों का दवाब कम करने के लिए किस दवा का प्रयोग किया जाए या फिर उसका आपरेशन किया जाये । आमतौर पर एक विशेष प्रकार की आंखों में डालने वाली दवाई दी जाती है जो आंखों के प्रेशर को कम करने में मदद करती है, इसका प्रयोग दिन में कितनी बार करना है यह काला मोतियाबिंद के प्रकार व उसकी अवस्था पर निर्भर करता है।

क्लोज्ड एंगिल काला मोतियाबिंद के इलाज़ के लिए आपात स्थिति में लेज़र (इरिडोटॉमी) का प्रयोग किया जाता है। लेजर के माध्यम से आँख के आइरिस में एक छेद बनाया जाता है जिससे आंखों के अंदर बनने वाले जलीय द्रव को निकले में आसानी होती है और आंखों का दवाब कम होता है। इसकी खास बात यह होती है कि इसमें किसी प्रकार का कोई चीरा नहीं लगाया जाता। अगर इससे भी बात नहीं बनती तो फिर सर्जरी यानी आपरेशन किया जाता है। ट्रेबीकुलेक्टोमी नाम की आपरेशन के माध्यम से काला मोतियाबिंद को नियित्रंत किया जा सकता है। इस तकनीक के माध्यम से जलीय द्रव को निकालने के लिए एक नया रास्ता बनाया जाता है जो आंखों पर हो रहे दवाब को सामान्य स्तर पर लाने में मदद करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे प्रभावित व्यक्ति का इलाज उम्र भर चलता है।

काला मोतियाबिंद ठीक हो सकता है क्या?

काला मोतियाबिंद से बचाव :

काला मोतियाबिंद में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या काला मोतियाबिंद ठीक हो सकता है? ज्यादातर मामलों में काला मोतियाबिंद से बचाव का कोई तरीका नहीं है, लेकिन यदि यह किसी कारणवश हो जाये तो जितनी जल्दी इसका पता चले उतना बेहतर होता है। यदि इसका इलाज समय पर शुरू हो जोय तो काफी हद तक इस पर काबू पाया जा सकता है और प्रभावित व्यक्ति को दृष्टिहीन होने से बचाया जा सकता है। इसीलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि अत्यधिक धूम्रपान से बचें और आंखों की नियमति जांच कराएं, ख़ासतौर पर वह लोग जिनको काला मोतियाबिंद आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है।

काला मोतियाबिंद के बारे में ध्यान रखे जाने वाले तथ्य :

  • कई बार काले मोतियाबिंद के लक्षण पकड़ में नहीं आते हैं।
  • काला मोतियाबिंद चुपचाप आंखों की रौशनी चुरा सकता है।
  • समय पर काले मोतियाबिंद का पता चल जाने से अंधेपन को रोका जा सकता है।

सार्थक सुझाव

रोगियों के लिए इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है

  • दवाओं का नियमति इस्तेमाल करें। विशेषज्ञ की सलाह के बिना दवा बद न करें।
  • साल में एक बार ऑप्टिक नर्व व दृष्टि के दायरे की जाच कराएं।
  • नेत्नों के प्रेशर के सदर्भ में डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमति जाच कराएं।
  • यदि परिवार के किसी सदस्य को ग्लूकोमा है, तो उस परिवार में 40 वर्ष से अधिक के सभी सदस्यों को नियमति जाच करानी चाहिए।

भारत में हर साल तकरीबन 20 लाख से अधिक इससे प्रभावित होते है

• ग्लूकोमा देश और दुनिया में अंधेपन का एक बड़ा कारण।
• ग्लूकोमा से ऑप्टिक नर्व को गंभीर नुकसान पहुंचता है ।

काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) व मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) में क्या है अंतर

काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) और मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) में बहुत अंतर होता है। जहां मोतियाबिंद को ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है, वही काला मोतियाबिंद आंखों की रोशनी को छीन लेता है। काला मोतियाबिंद के शिकार ज्यादातर मरीज दृष्टिहीनता के शिकार हो जाते है। कभी कभी इसके कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते और अचनाक ही पता चलता है कि एक आंख से कम दिखाई देने लगा। काले मोतियाबिंद के साथ सबसे खतरनाक बात यह है कि इस रोग से प्रभावित व्यक्ति की देखने की क्षमता जितनी खराब हो चुकी होती है, उसको किसी भी प्रकार के इलाज द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता। इसके उल्टे कैटरेक्ट या मोतियाबिंद इतना खतरनाक नहीं होता है। इसमें ऑपरेशन के बाद आंखों की रोशनी को वापस लाया जा सकता है।

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a social development organisation is committed to the cause of blind people in our society. Towards this we had made a humble beginning in 2006. It is registered as a Public Charitable Trust under Indian Trust Act, 1882.

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