डायबटीजः आंखों पर बढ़ता खतरा

0

2030 तक डायबिटीज से प्रभावित मरीजों की संख्‍या हो जायेगी 10 करोड़ से ज्‍यादा

मेडिकल शोधकर्ताओं के मुताबिक भारत में सात करोड़ लोग डायबिटीज से पीडि़त हैं। इसकी आधी संख्‍या महिलाओं की है। आशंका है कि वर्ष 2030 तक डायबिटीज मरीजों की आबादी 10 करोड़ से ज्‍यादा हो जाएगी।

मुख्‍य रूप से यह अमीरों की बीमारी मानी जा रही है। आधुनिक जीवन शैली की वजह से बीमारी चुपके से शरीर में अपनी जगह बनाती है। मानसिक तनाव, मोटापा, असंयमित खानपान –  खास तौर से जंक फूड, व्यायाम की कमी आदि इसके जन्मादाता है। अगर एक बार यह बीमारी आपकी मेहमान बन जाये तो पीछा छुड़ाना मुश्किल होता है। यदि आप सतर्क रहे तो डायबिटिज के साथ जीवन का भरपूर आंनद ले सकते है। नियमित संतुलित आहार, व्यायाम, दवाईयों आदि की मदद से इस पर नियंत्रण रखा जा सकता है।

डायबिटीज को ठीक से नियंत्रित नहीं किया जाए तो यह घातक असर दिखाती है। इसका सीधा असर आंखों एवं गुर्दे पर होता है। बढ़ा हुआ ब्‍लड शुगर व्‍यक्ति को पूरी तरह से दृष्टिहीन भी बना सकता है।

डायबिटिक रेटीनोपैथी –

डायबिटिक रेटीनोपैथी से प्रभावित व्याक्ति की रक्ती वाहिकाओं में स्राव होने लगता है। इससे ये सूज जाती हैं। इनमें ब्रश जैसी शाखाएं भी बन सकती हैं। इससे आंखों का रेटीना खराब होता है। ऐसे में रेटिना के लिए जरूरी ऑक्सीजन और पोषण की आपूर्ति नहीं हो पाती।

लक्षण –

इसके शुरुआती लक्षण धुंधला दिखाई देना है। रोग बढ़ने पर नजर धुंधली होती जाती है और ब्लाइंड स्पॉट, फ्लोटर, यहां तक की अचानक दृष्टि भी जा सकती है।

क्यों होती हैं ये परेशानियां –

डायबिटीज के दौरान शरीर शुगर का इस्तेमाल और भंडारण ठीक से नहीं कर पाता। इससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।  इसका असर आंख, किडनी और हार्ट पर पड़ता हैं। सामान्‍य व्‍यक्ति की तुलना में डायबिटीज के मरीज के दृष्टिहीन होने की आशंका 25 गुना तक बढ़ जाती है। ब्लड शुगर का स्तर कम ज्यादा होने और आंखों के लेंस में सूजन से चश्मे का नंबर भी बदलता रहता है।

डायबिटीज में नेत्र जांच –

समय पर इलाज से डायबिटिक रेटीनोपैथी को रोका जा सकता है। साल में एक बार नियमित रूप से आंखों की गहन जांच करानी चाहिए। इस दौरान आंख को डाईलेट कर जांच की जाती है। विस्‍तृत जांच के लिए तकनीकि रूप से फ्लोरिसन एंजियोग्राम और ऑप्टिकल कोहेरन्स टोमोग्राफी करना आवश्यक है। मरीज के इलाज में सर्जरी व लेजर क्रियाएं होती हैं। लेजर तकनीक को ही स्थाई इलाज माना जाता है। एक अध्ययन में देखा गया कि रेटिनोपैथी के प्रारंभिक दौर में लेजर थैरेपी से अंधेपन को 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

मरीज को सफेद मोतियाबिंद की समस्या से धुंधला दिखाई देने लगता है। कई बार तो यह इतनी घातक होती है कि रोगी अंधेपन का शिकार हो जाता है। सबसे खतरे की बात है कि डायबि‍टीज रोगियों की एक बार दृष्टि खो जाने पर इसे लौटाना असंभव होता है।

मधुमेह से अंधा होने का खतरा –

• अंधापन अचानक नहीं होता बल्कि जैसे-जैसे व्यक्ति का शुगर लेवल बढ़ता है, वैसे-वेसे उसका शरीर प्रभावित होता है और आंखों से धुंधला दिखाई देने लगता हैं।

• आंखें इतनी कमजोर होने लगती हैं कि टीवी देखने या ड्राइविंग करने में भी समस्या आने लगती है, यह अंधेपन का कारण बनती है।

• यदि किन्हीं कारणों से मधुमेह के दौरान समय-समय पर चेकअप कराना संभव नहीं तो आपको आंखों में कोई भी तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

• अंधेपन से बचने के लिए, बढ़ती उम्र के साथ होने आंखों की समस्याएं होने पर डॉक्टर की सलाह पर दवाई डालते रहनी चाहिए।

• अंधापन न हो, इसके लिए आपको आंखों की एक्सरसाइज करनी चाहिए। ये एक्सरसाइज दो तरह की होती है एक तो किस चीज पर फोकस करके और दूसरा मशीनों द्वारा। जिन्हें डॉक्टर की मदद से किया जा सकता है।

• यदि आपकी आंखें कमजोर है या फिर आंखों की मांसपेशियां इत्यादि कमजोर है तो इसे नजरअंदाज न करें , मधुमेह रोगी को अपनी आंखों की अतिरिक्त देखभाल करनी चाहिए और आंखों का सही ट्रीटमेंट डॉक्टर से लेना चाहिए।

• यदि डॉक्टर आपको चश्मा पहनने की सलाह देते हैं तो शर्म या अन्य कारणों से चश्मा पहनने में देर न करें बल्कि डॉक्टर के निर्देशानुसार नंबर का चश्मा लगवाएं और अपने मन से यह भ्रम निकाल दें कि एक बार चश्मा पहनने के बाद ये कभी नहीं उतरेगा। चाहे तो आप लैंस भी लगवा सकते हैं।

• दिन में 4-5 बार आंखों को ठंडे पानी से प्रतिदिन धोयें।

डायबिटीज में लें स्वस्थ आहार

• डायबिटीज के इलाज में दवाओं से अधिक पौष्टिक और स्वस्थ आहार कारगर साबित हो सकता है। ऐसे में रोगी को संतुलित आहार ही लेना चाहिए।

• ऐसा आहार लें जो जल्दी पच जाए और साथ ही घुलनशील फाइबर युक्त हो।

• स्ट्राबेरी, तरबूज़, पपीता, बेर जैसे फल आदि जल्दी पच जाते हैं इसलिए वो आंत में आसानी से अवशोषित हो जाते हैं।

• कार्बोहाइड्रेट के लिए मोटा अनाज, भूरे चावल, प्रोटीन युक्त पदार्थ, इत्यादि लेना चाहिए।

• अधिक मीठा, चिकनाई युक्त खाना न खाने की सलाह दी जाती है साथ ही उन्हें एक्सरसाइज और व्यायाम की भी सलाह दी जाती है।

• आहार में जड़ एवं कंद, मिठाइयाँ, चॉकलेट, तला हुआ भोजन, सूखे मेवे, चीनी, केला, चीकू, सीताफल इत्यादि चीजों को खाने से बचना चाहिए।

• खानपान के साथ ही तरल पदार्थों का सेवन भी करना चाहिए। इसके लिए आप पानी की मात्रा बढ़ा सकते हैं। या फिर आप इसके अलावा नींबू पानी, गुनगुना पानी, फलों का रस, सब्जियों का रस, सूप इत्यादि भी ले सकती हैं।

डायबिटीज और आंखों पर प्रभाव –

•              डायबिटीज की वजह से आंख में होने वाली बड़ी समस्‍या डायबिटिक रेटीनोपैथी है।

•              डायबिटीज के मरीज को मोतियाबिंद भी हो सकता है।

•              डायबिटीज से होने वाली दृष्टिहीनता को रोका जा सकता है।

बच्चों व युवाओं की आंखों को भी डायबटीज प्रभावित करता है –

–    टेलीविजन के सामने घंटों बैठे रहने, प्रदूषण, अनियमित खानपान से छोटे बच्चे भी डायबटीज के शिकार हो रहे हैं। फैमली हिस्टी भी इसकी एक वजह है।

–    कई ऐसी समस्‍याएं है, जैसे – आधुनिक जीवन शैली, संयुक्त परिवार का बिखरने, अभिभावकों के पास बच्चों के लिए समय का आभाव से भी डायबिटीज समेत कई दिक्‍कतें उत्‍पन्‍न होती हैं। बच्‍चे हिंसा, नशाखोरी, आत्माहत्या जैसी समस्याओं में जकड़ सकते हैं। उन्हें मोटापा और हृदय रोग का भी शिकार बनाता है।

Share.

About Author

a social development organisation is committed to the cause of blind people in our society. Towards this we had made a humble beginning in 2006. It is registered as a Public Charitable Trust under Indian Trust Act, 1882.

Comments are closed.