नेत्रदान की शपथ लेने वालों का नहीं हो पा रहा नेत्रदान

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बिहार में पिछले साल नहीं हुआ नेत्रदानजागरूकता न होने से स्थिति चिंताजनक

हाल के वर्षों में नेत्रदान के लिए शपथ लेने वालों की संख्‍या तो बढ़ी है, लेकिन नेत्रदान बेहद कम हुए। आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. समीर कुमार बसाक कहते हैं कि लोगों में जागरुकता की बेहद कमी है। झारखंड में पिछले साल मात्र दस नेत्रदान हुए, बिहार में तो यह आंकड़ा शून्य है। इसके मुकाबले पश्चिम बंगाल की स्थिति बहुत बेहतर है। पश्चिम बंगाल में गत वर्ष 3040 कार्निया एकत्र हुए थे, जिसमें लगभग 1500 को प्रत्यारोपित किया गया।

डॉ. बसाक का मानना है कि नेत्रदान की शपथ लेने वाले नेत्रदान नहीं करते, यह बाजार में भी नहीं बिकती, ऐसे में नेत्रहीनों को रोशनी कौन देगा। हम 14 दिन से ज्यादा आई बैंक में आंख की पुतली (कार्निया) को सुरक्षित नहीं रख सकते।

औसतन किसी न किसी वजह से 54 फीसद कार्निया ही प्रत्यारोपित हो पाता है। शेष कॉर्निया खराब हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर कार्निया को 72 घंटे ही सुरक्षित रखा जाता है, लेकिन अब 14 दिन तक रखा जा सकता है। एक कार्निया को 72 घंटे रखने के लिए 300 रुपए और 14 दिन के लिए एक हजार रुपये खर्च आता है। यदि इस बीच नेत्रहीन नहीं आए तो यह कार्निया खराब हो जाता है, हालांकि इसकी नौबत कम ही आती है। कार्निया प्रत्यारोपण में अमूमन 20-25 हजार रुपये खर्च होता है।

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