यदि आपके पास आत्मविश्वास और ज्ञान है तो आपको इस बात की चिंता करने की जरुरत नहीं कि दूसरे लोग आपके बारे में क्या कहते हैं क्या सोचते हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दृष्टि बाधित है या विकलांग। बस स्वयं के विकास की प्रक्रिया में पूरी तरह संलग्न रहें ताकि दूसरे लोगों की टिप्पणी की गुंजाइश ना बचे। इसके अलावा अच्छे सुझावों के लिए अपनी आंखें खुली रखे लेकिन बेकार दृष्टिकोण के प्रति बहरे बने रहें, संकट और कठिनाइयों के समय आप का ज्ञान ही आपकी राह को आसान बनाएगा। इस संदर्भ में हाल ही में मेरे साथ हुई एक घटना का जिक्र करना चाहूंगी इसके पहले कि मैं अपना अनुभव आप के साथ साझा करूं मैं आपको बताती हूँ कि मैं अस्सी प्रतिशत दृष्टि बाधित हूँ।
आत्मविश्वास और ज्ञान
पिछले दिनों मैं अपने शहर से एक दूसरे शहर में एक माह रही थी। वहां हर रोज मुझे किसी काम से एक संस्थान में जाना होता था। शुरू में मेरा भाई मुझे संस्थान तक छोड़ने जाता था, दो-तीन दिन बाद उसने मुझसे कहा कि आगे से वह मुझे सड़क पर ही छोड़ दिया करेगा। मैंने उसकी बात तत्काल मान ली। वह जगह दूसरी मंजिल पर थी। संस्थान के आस पास बहुत व्यस्त माहौल था। अलग-अलग संस्थानों का हब थी वह जगह।
फिर एक दिन उसने मुझे मुख्य सड़क पर ही उतार दिया। यहां से संस्थान 5 मिनट की पैदल दूरी पर था। यह रास्ता मैं अच्छी तरह पहचान चुकी थी। इस रास्ते को और आसान बनाने के लिए संस्थान तक जाने वाले रास्ते के बीच पड़ने वाले सभी मोड़ और बड़े खंभो की मैंने गिनती कर ली थी। मुझे जिस संस्थान में जाना होता था वह दूसरी मंजिल पर था, जिसके लिए एक सकरी गली से होकर सीढ़ियां बनी थी। वहां विभिन्न संस्थानों को जाने के लिए सकरी गलियां बानी थी। जैसे-तैसे मैं सीढ़ियों तक पहुंची। दूसरी याद रखने वाली चीजें थी सीढ़ियों की संख्या। मैं आहिस्ता लेकिन पूरे आत्मविश्वास के साथ सीढ़ियां चढ़ गई। सब कुछ ठीक रहा और मैं अपना गंतव्य संस्थान तक समय से पहुंच गई। इस दौरान पूरे क्षेत्र का नक्शा मैंने अपने दिमाग में बैठा लिया।
मैंने अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए यही तरीका अपनाया। लेकिन मैं यहां इस बात का उल्लेख करना चाहूंगी कि आत्मविश्वास और अति आत्मविश्वास में बहुत मामूली भेद है। एक दिन मैं रास्ता चलते समय अति आत्मविश्वास से लबरेज थी, कि मेरा ध्यान उस स्थान से भटक गया और मैं सीढ़ियां चढ़े हुए फिसल गई। वहां आसपास और भी लड़कियां थी, जो लिफ्ट के आने का इंतजार कर रही थी। लेकिन मैंने किसी का इंतजार नहीं किया और उठ कर सीढ़ियां चढ़ने लगी। मेरे घुटने में मामूली चोट आई थी। तब मुझे महसूस हुआ कि कुछ समय के लिए मैं अति आत्मविश्वास से घिर गई थी तभी गिर पड़ी। इस से मुझे यह भी शिक्षा मिली कि कितना भी आत्मविश्वास हो लेकिन सतर्कता बनाए रखनी चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि गिरना और गिर कर खराब होना भी हमारे रास्ते को आसान बनाता है।
नए लोगों से मिलने और उन्हें अपनी बात समझा पाना भी हम सभी को नर्वस कर देता है। संस्थान में मेरा पहला दिन था और वहां हर एक व्यक्ति अपरिचित था। निश्चित ही मैं नर्वस थी, लेकिन मैंने अपने आप पर नियंत्रण नहीं खोया। मैं केबिन में घुसी और बोली गुड आफ्टरनून। मुझे नहीं पता था कि कमरे में कितने लोग थे तथा वह कहां खड़े या बैठे थे। फिर भी एक महिला ने मेरा स्वागत किया और बैठ जाने को कहा। उस दिन सभी ने अपना परिचय दिया। मैंने भी अपना परिचय दिया। मेरे आत्मविश्वास ने मेरा पूरा साथ दिया और सब कुछ ठीक-ठाक रहा।
बहरहाल मेरे मन की गहराइयों में मुझे अच्छी तरह से पता था कि वहां मौजूद लोगों के चेहरे और उनकी गतिविधियां मुझे दिखाई नहीं दे पा रही हैं। जल्द ही मेरे आत्मविश्वास और ज्ञान में इजाफा हुआ और मैंने महसूस किया कि मैं बाकी लोगों के मुकाबले बेहतर ढंग से अपनी बात रख पा रही हूँ। उनमें से कई लोग विभिन्न विषयों पर मेरी बात से सहमति व्यक्त करते थे। अब भी एक चीज पर मुझे काम करना था। वह था उनके हाथों की गतिविधियों को भांपना। मैं अपनी बात को पूरी दमदारी इसे रखती थी यहां यह उल्लेखनीय है कि वहां मौजूद एक व्यक्ति को छोड़ किसी को भी इस बात का ध्यान नहीं था कि मैं दृष्टि बाधित हूं। मैंने बातचीत के लहजे और चेहरे की भावाभिव्यक्ति से यह एहसास ही नहीं होने देती थी कि मैं दृष्टि बाधित हूं। मेरा स्मार्ट चश्मा भी मेरी आंखों को इस तरह से ढकता था कि मेरी दृष्टि बाधित होना दिखाई नहीं देता था। बहरहाल मैंने इतना तय कर रखा था कि मैं तब तक कुछ नहीं बोलूंगी जब तक कोई दूसरा व्यक्ति कुछ नहीं कहता है।
इस तरह नए लोगों और नए वातावरण में मुझे अच्छे अनुभव हुए। इस सब के लिए आत्मविश्वास और ज्ञान को ही सारा श्रेय दिया जाना बेहतर होगा। मैंने पाया कि कुछ लोग मेरे बारे में चर्चा करते रहते थे लेकिन मैंने उन पर कभी ध्यान नहीं दिया।
बहरहाल इस आलेख को लिखने के पीछे एक ही मकसद है कि कभी भी अपने कमतर मत आंकिए। हर व्यक्ति का व्यवहार और काम करने का ढंग अलग है। इससे भयभीत ना हो, खुद को स्वीकार करें, अपनी कमियों को पहचानने और अपने काम करने के तौर तरीके पर गर्व करें। अपने आत्मविश्वास और ज्ञान पर भरोसा रखे।