भारत में लगभग सवा करोड़ से ज्यादा लोग काला मोतियाबिंद ग्लूकोमा से प्रभावित है
काला मोतियाबिंद ग्लूकोमा आपको स्थायी रूप से दृष्टिहीन बनाने की क्षमता रखता है। काला मोतियाबिंद ग्लूकोमा आंखों की एक बीमारी है जिसका आसानी से पता नहीं चलता और जब पता चलता है, तब बहुत देर हो चुकी होती है। इसी कारण इसको चुपके से आंखों की रोशनी चुराने वाला भी कहा जाता है। इससे बचने का एक ही उपाय है कि इसकी पहचान जल्दी से जल्दी कर ली जाए। 40 वर्ष की आयु पार चुके लोगों के लिए यह ज्यादा खतरनाक है।
दुनियां में साढ़े छह करोड़ लोग आंखों की बीमारी ग्लूकोमा यानी काला मोतियाबिंद से लड़ रहे है। इनमें से लगभग सवा करोड़ लोग भारत में हैं।
ग्लूकोमा सोसायटी ऑफ इंडिया की माने तो भारत में जितने भी लोग अपनी दृष्टि खोते हैं, उनमें से 12 प्रतिशत ग्लूकोमा से प्रभावित होते हैं।
काला मोतियाबिंद ग्लूकोमा होता क्या है?
आंखों में एक्वेस ह्यूमर नाम का एक तरल पदार्थ होता है जो लगातार बनता और बहता रहता है, जिसका काम आंखों को सही आकार देने के साथ-साथ उसका पोषण करना होता हैं। इस तरल पदार्थ को लेंस के चारों ओर स्थित सीलियरी टिश्यू लगातार बनाते रहते हैं। यह तरल पदार्थ पुतलियों से होता हुआ आंखों के भीतरी हिस्से में जाता है। स्वस्थ्य आंखों के लिऐ जरूरी होता है कि यह तरल पदार्थ लगातार बनता और बहता रहे। इसके बनने और बहने के संतुलन को इंट्रोक्युलर प्रेशर कहते है। कभी-कभी बहाव नलिकाओं का मार्ग बंद हो जाता है और इसका बहना रूक जाता है, लेकिन सीलियरी ऊतक इसे लगातार बनाते ही जाते हैं जिसकी वजह से ऑप्टिक नर्व के ऊपर इसका का दबाव बढ जाता है। इसके प्रभाव से कभी – कभी प्रभावित व्यक्ति स्थायी रूप से दृष्टिहीन भी हो जाते है।
ग्लूकोमा की चपेट मे आने वाले व्यक्ति के चश्मे का पावर बहुत जल्दी-जल्दी बदलता है। आंखों की रोशनी लगातार कम होती जाती है और अंधेरे कमरे मे देखना बहुत मुश्किल होता है। प्रभावित व्यक्ति को सिरदर्द होता है, रोशनी के चारो तरफ सतरंगी रेखा दिखने लगती है।
काला मोतियाबिंद ग्लूकोमा के प्रकार
प्राइमरी ओपन एंगल या क्र ोनिक ग्लूकोमा मे देखने की क्षमता लगातार घटती जाती है, हालांकि रोगी को कोई दर्द नहीं होता। क्लोज्ड एंगल या एक्यूट ग्लूकोमा होने पर, आंखों से द्रव का निकलना एकदम से रु क जाता है जिससे दबाव इतना बढ जाता है कि लक्षण तुरंत दिखने लगते हैं। इस प्रकार के ग्लूकोमा के लक्षणों की पहचान आसानी से की जा सकती है। कंजीनियल ग्लूकोमा मे बच्चे को जन्म से ग्लूकोमा होता है।
लक्षण
- आंखों के सामने छोटे-छोटे बिंदु और रंगीन धब्बे दिखाई देना।
- आंखों के आगे इंद्रधनुष जैसी रंगीन रोशनी का घेरा दिखाई देना।
- चक्कर आना और मितली आना।
- आंखों में तेज दर्द होना।
- साइड विजन को नुकसान होना और बाकी विजन का ठीक रहना।
कौन प्रभावित हो सकता है काला मोतियाबिंद ग्लूकोमा से
- परिवार में किसी सदस्य को काला मोतियाबिंद हो या पूर्व में रहा हो
- मधुमेह यानी डायबिटीज से प्रभावित है
- हाई माइनस व प्लस नम्बर का चश्मा पहनते है
- हाइपरटेंशन है
- आंखों की सर्जरी हो चुकी है
- थायराइड रोग से पीड़ित है
- मोतियाबिंद (सफ़ेद मोतियाबिंद, कैटरेक्ट) से काफी लम्बे समय से प्रभावित है
- कभी आँख में चोट लगी हो
- लम्बे समय तक स्टेरोइड युक्त आई ड्राप प्रयोग किया है या कर रहे हैं
क्या काला मोतियाबिंद ठीक हो सकता है?