डायबिटीज रोगियों के लिए स्वास्थ्य बीमा लेना मुमकिन नहीं था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बीमा कंपनियों ने अपने रु ख में बदलाव किया है। अब डायबिटीज के बाद भी लोग बीमा का लाभ ले सकेंगे। हालांकि अभी भी कंपनियों ने काफी शर्तें लगा रखी हैं। इससे स्वास्थ्य बीमा पाना आसान नहीं हुआ है।
क्यों लेना चाहिए यह बीमा?
डायबिटीज कई बीमारियों की जड़ है। ध्यान न देने पर इससे अंधापन, हृदय संबंधी बीमारियां, किडनी का काम न करने सहित शरीर के किसी खास हिस्से का ट्रांसप्लांट करवाने की भी नौबत आ सकती है। यह बेहद खर्चीला होता है। डायबिटीज बीमा के तहत इन समस्याओं के दौरान वित्तीय सुरक्षा मिलती है।
किसे मिल सकता है कवर?
डायबिटीज दो तरह की होती हैं। यदि शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं हो रहा हो तो उसे टाइप 1 डायबिटीज कहते हैं। बीमा कंपनियां पहले इसका कवर नहीं देती थीं।
जिन मरीजों को अपने शरीर में बाहर से इंसुलिन नहीं लेना पड़ता है और उसे व्यायाम और खान-पान में साधानी से नियंत्रित किया जा सकता है उसे टाइप 2 डायबिटीज कहते हैं। करीबन 95 फीसदी डायबिटीज के मरीज टाइप टू डायबिटीज से ग्रसित होते हैं।
टाइप वन डायबिटीज में बेहद गंभीर समस्याएं हो सकती हैं जिसकी वजह से बीमा कंपनियां इसका कवर नहीं देती हैं। पहले टाइप टू डायबिटीज के लिए भी मरीजों को यह कवर नहीं किया जाता था, लेकिन अब ऐसी बात नहीं है। अब जिसे टाइप 2 डायबिटीज है, उसके लिए सुरक्षा उपलब्ध है।
कवर प्रदान करने वाली बीमा कंपनियां –
कंपनियां कवर तो उपलब्ध करा रही हैं, पर एक लोडिंग शुल्क लेकर। यह शुल्क प्रीमियम का 50 फीसदी या इससे ज्यादा भी हो सकता है। लोडिंग शुल्क वह चार्ज होता है जिसे बीमा कंपनियां मेडिकल चेकअप के समय पाई गई किसी खास बीमारी के लिए कवर देने पर चार्ज करती हैं।
निजी व सरकारी बीमा कंपनियों की पॉलिसी
डायबिटीज केयर: इस पॉलिसी के तहत, डायबिटीज की वजह से हुई छह गंभीर बीमारियों जिसमें हार्ट अटैक, कॉरोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी, किडनी फेलयर, स्ट्रोक, कैंसर और शरीर के किसी खास हिस्से का ट्रांसप्लांट को सुरक्षा प्रदान कराई जाती है। बीमारी होने पर बीमा कंपनियां खर्च के आस-पास की राशि पीड़ित को देती हैं।
डायबिटीज केयर प्लस: ऊपर बताई गई छह बीमारियों के अलावा डायबिटीज केयर प्लस आंख और एड़ी की बीमारियों के लिए भी सुरक्षा प्रदान करती है। इसके साथ ही पॉलिसी अवधि के दौरान धारक की मृत्यु हो जाने की दशा में भी उसे मृत्यु हित लाभ प्रदान करती है। यह लाभ पॉलिसी वर्ष के पहले साल के लिए मान्य होता है। इस पॉलिसी को लेने के लिए, डायबिटीज केयर के प्रीमियम से महज 1,500 रु पये ही अतिरिक्त देने होते हैं।
डायबिटीज सेफ पॉलिसी: इस में डायबिटिक रेटिनोपैथी जिसमें आंखों का लेजर ट्रीटमेंट होता है, डायबिटिक नेफ्रोपैथी जिसमें किडनी का دक्रोनिक रेनल फेल कर जाता है और डायबिटिक फुट अल्सर के लिए सुरक्षा प्रदान की जाती है।
नेशनल इंश्योरेंस रिस्क मेडिक्लेम पॉलिसी: इसे 60 से 80 साल का कोई व्यक्ति इस पॉलिसी को लेने के योग्य है। पॉलिसी का रिनुअल 90 साल की उम्र तक किया जा सकता है। इसमें एक लाख रु पये तक का लाभ हेल्थ के लिए और दो लाख रु पये तक का लाभ गंभीर बीमारी के लिए दिया जाता है।