भारत मर्राकेश समझौते को समर्थन देने वाला पहला देश बना No ratings yet.

0
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
मानव संसाधन विकास मंत्रालय

02-जुलाई-2014 15:09 IST

मर्राकेश समझौता नेत्रहीनों के लिए प्रकाशित कार्यों तक पहुंच सुलभ कराने में होगा सहायक

भारत 30 जून, 2014 को नेत्रहीनों, दृष्टि बाधित व्यक्तियों के लिए प्रकाशित पुस्तकों/कार्यों तक पहुंच सुलभ कराने में मदद से जुड़े मर्राकेश समझौते को समर्थन देने वाला पहला देश बन गया है। अभी तक विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के 79 सदस्य देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 20 देशों द्वारा इस समझौते को समर्थन दिए जाने के बाद मर्राकेश समझौता लागू हो जाएगा। 

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी प्रतिनिधि श्री दिलीप सिन्हा ने डब्ल्यूआईपीओ के मुख्यालय में एससीसीआर (कॉपीराइट एवं संबंधित अधिकारों पर स्थायी समिति) के 28वें सत्र के दौरान आयोजित एक समारोह में डब्ल्यूआईपीओ के महानिदेशक श्री फ्रांसिस गुर्रे को समर्थन पत्र सुपुर्द किया। 

मर्राकेश समझौते का मुख्य लक्ष्य नेत्रहीनों, दृष्टि बाधित व्यक्तियों के लाभ के लिए अनिवार्य सीमाओं और अपवादों के एक संकलन का निर्माण करना है। यह अनुबंधकारी पार्टियों द्वारा राष्ट्रीय विधि प्रावधानों के अनुपालन से ब्रेल जैसे स्वीकृत रुपों में प्रकाशित कार्यों के पुनर्निर्माण, वितरण तथा उपलब्धता सुनिश्चित कराने के जरिए किताबों की भीषण कमी की समस्या को दूर करने में सहायक होगा। साथ ही, यह समझौता ऐसे संगठनों, जो उनकी सेवा करते हैं, को इन पुस्तकों के विभिन्न देशों में आदान प्रदान की अनुमति भी देगा। जैसे ही मर्राकेश समझौता लागू हो जाएगा, यह भारत में लाखों नेत्रहीनों और दृष्टि बाधित व्‍यक्तियों के लिए प्रकाशित पुस्‍तकों तक पहुंच सुलभ करा देगा। यह उनके लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों तथा समान अधिकारों को सुनिश्चित कराने में भी मददगार साबित होगा। 

यह समझौता दृष्टिहीनों के लाभ के लिए काम करने वाले शैक्षिक संस्थानों, पुस्तकालयों जैसे भारत के अधिकृत संगठनों द्वारा सदस्य देशों से सुलभ फॉरमेट प्रतियों के आयात में भी सहायक साबित होगा। यह समझौता भारतीय भाषाओं में सुलभ फॉरमेट के आयातित प्रतियों के अनुवाद तथा सुलभ फॉरमेट प्रतियों के निर्यात में भी मददगार साबित होगा। भारतीय कॉपीराइट (संशोधन) एक्ट, 2012 मर्राकेश समझौते के अनुरुप है। 

वि.कासोटिया/एसजे/एमएस-2233

Like this Article? Subscribe to Our Feed!

Please rate this

About Author

Comments are closed.