आंखों को बचायें – नेत्न परीक्षण करायें

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हर पांच सेकेन्ड में एक व्यक्ति दृष्टिहीन हो जाता है
90 प्रतिशत दृष्टिहीन बच्चें स्कूल नहीं जा पाते
89 प्रतिशत दृष्टिहीन बच्चों में दृष्टिहीनता 5 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है

आंखें स्वस्थ्य रहे इसके लिए जरूरी है कि हम आंखों के प्रति सावधानी रखें।
सही जानकारी एवं समय पर उपचार हमें दृष्टिहीन होने से बचा सकता है –

आधुनिकता के बढ़ते दौर में मशीनों के साथ काम करते करते आज जिंदगी भी मशीन बन कर रह गई है। घर में हो या अॅाफिस में या फिर बाहर सड़क पर, हर जगह बस मशीनों का साथ है, हममें से अधिकांश लोग 12-14 घंटें कम्प्यूटर, मोबाइल या टी.वी.के सामने बिताते हैं। घर से बाहर निकलते है तो भी सड़क पर ढेर सारी गाड़ियों से निकलते धुंऐ से हमारा सामना होता है। ऑफिस में काम करते समय कम्प्यूटर स्क्रीन आंखों के सामने होती हैं तो घर में इसका स्थान टीवी ले लेती हैं। बाकी बचा समय मोबाइल। यह सब कहीं कहीं न हमारी आंखों को नुकसान पहुचाता है। सड़क पर चाहे आप पैदल चल रहे हों या कार, स्कूटर चला रहे हों, हर समय हमारी आंखों पर एक दबाव सा बना रहता है, इसमें प्रदूषण की भी एक बड़ी भूमिका होती है। समय की कमी और जानकारी के अभाव के कारण हमें पता ही नहीं चलता कि कब हमारी आंखें खराब हो गई। कभी-कभी तो यह अनदेखी हमें दृष्टिहीन भी बना देती है। आंखें हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, कभी अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर कुछ देर रहिये और कुछ काम करने की कोशिश करिये, आपको एहसास हो जायेगा कि आंखों बिना जीवन कैसा होगा। लेकिन अपनी आदतों में सुधार कर हम आंखों को इसके प्रभावों से बचा सकते हैं।

आंखों की बीमारीयों के शुरूआती लक्षण

  • ब्लैक बोर्ड पर लिखे अक्षरों को पढने में दिक्कत आती है या ठीक से नहीं दिखता
  • सर में दर्द रहता है
  • आंखों में लगातार लाली, जलन, पानी आने, सूजन, सूखेपन या दर्द की शिकायत रहती है
  • धुंधला, गुफानुमा जैसा दिखायी देता है
  • प्रकाश स्रोत के चारों ओर रंगीन/सप्तरंगा इंद्रधनुष दिखायी देता है
  • देखते समय एक आंख बन्द करते है या ढकते हैं
  • बार – बार आंखें झपकाते हैं
  • काम करते समय आँखों में जलन होती है
  • किताब या छोटी चीजों को आंखों के बहुत नजदीक ले जा कर देखते है
  • ’एक वस्तु दो दिखाई देती है।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • पौष्टिक भोजन संतुलित आहार का ध्यान रखें।
  • फल, हरा सलाद, गाजर, पीले फल जैसे पपीता एवं आम खांए जो विटामिन ए के अच्छे स्रोत होते हैं।
  • मसालेदार, बासी, पोषणहीन चीजें और जंक फूड के सेवन से बचें।
  • साफ सफाई तथा साफ सुथरे वातावरण का ध्यान रखें।
  • आंखों को प्रतिदिन 2 से 3 बार साफ पानी से अवश्य धोयें।
  • यदि आंख चिपकती है तो उसे बराबर साफ करें।
  • विशेष रूप से सुबह सोकर उठने के बाद आंख की सफाई जरूर करें।
  • गंदे कपड़े से आंख की सफाई न करें।
  • अपने आप बिना डाक्टरी सलाह के आंखों में दवाओं का सेवन न करें।
  • किसी भी प्रकार की घरेलू दवाई से बचें।
  • आंखों में काजल, सुरमा या वनस्पतियों के रस न डालें।
  • धुएं, तेज रोशनी, ज्वलनशील रसायनों से अपनी आंख को दूर रखें।
  • सूर्य ग्रहण, सूर्य या बेलिडंग की चमक को कभी भी नंगी आंखों से न देखें।
  • टी.वी. देखने के कमरे में प्रकाश की उचित व्यवस्था रखें तथा उचित दूरी बनाये रखने के साथ-साथ आंखों को आराम देते रहें।
  • आंखों के सौंदर्य प्रसाधन (आई लाइनर्स आदि) का नियमित इस्तेमाल न करें। लंबे समय तक इनका इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है।
  • हमेशा पर्याप्त प्रकाश में पढ़ें। यह सुनिश्चित करें कि प्रकाश आपकी आंखों पर नहीं बल्कि उस वस्तु पर पड़े जिसे आप पढ़ रहे हैं।
  • कभी लेटकर न पढ़ें। पढ़ते समय हमेशा सीधे तन कर बैठें।
  • आंखों में किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर नेत्न विशेषज्ञ से ही सलाह लें, नीम-हकीम के चक्कर में न पड़ें।
  • अंध विश्वास, टोटके, झाड़फूंक से बचें।
  • तेज बुखार, डायरिया, चेचक भी दृष्टिहीनता का कारण हो सकते हैं।
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a social development organisation is committed to the cause of blind people in our society. Towards this we had made a humble beginning in 2006. It is registered as a Public Charitable Trust under Indian Trust Act, 1882.

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