मैं अपने माता-पिता की तीसरी संतान था, जैसे कि आम भारतीय परिवारों में होता है मेरे घर में भी जश्न का माहौल था, होता भी क्यों नहीं मैं घर में पहला लड़का जो था। फिर एक बुरी खबर आई मेरी आंखों को लेकर और मेरे माता पिता की अस्पतालों की दौड़ शुरू हो गई। जहां भी बताया गया वह लोग गये लेकिन हर जगह से उत्तर नहीं का मिला। जब मैं तीन साल का था तभी मैंने अपने पिता को खो दिया। मेरी मां दृढ़ थी मेरे लिए कुछ न कुछ करने को, आज मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं के अथक प्रयासों का नतीजा है।
चार साल की उम्र में दृष्टिहीन बच्चों के स्कूल हैप्पी होम में मेरी भर्ती हुई, जहां से मैंने एस.एस.सी. किया। विल्सन कालेज से मैंने एच.एस.सी. एवं स्नातक की डिग्री ली, जहां मैंने इतिहास की पढ़ाई की और कक्षा में प्रथम आया। मैं कालेज में होने वाली गतिविधियों में भी भाग लेता था और मैंने बहुत सारे इनाम भी जीते। मुङो 2000-2001 में कालेज के हिन्दी विभाग ने सबसे अच्छे छात्न का पुरस्कार दिया।
अब समय आ गया था कि मैं कालेज से बाहर निकल कर और बड़ी जगह जाऊ जहां मुङों अपनी क्षमताओं को और अच्छा करने का मौका मिले। पढ़ाना मेरा जुनून था इसलिए मैंने नैब मुंबई से दृष्टिबाधितों के लिए स्पेशल शिक्षा में डिप्लोमा किया और 2007 में नैब के इटीनरेन्ट विभाग को नौकरी कर ली। अगले साढ़े तीन वर्षों का अनुभव बहुत अच्छा रहा। काम के दौरान छात्नों के लिए घर खोजने आदि जैसी बहुत सारी कठिनाइंया आती रहीं। हर छात्न अलग होता है तो उसी के हिसाब से उसको पढ़ाने के तरीके भी अलग हो जाते हैं।
दिसंबर 2010 में मैं अपने स्कूल में विषय अध्यापक के रूप में शामिल हो गया और अक्टूबर 2010 तक मैंने वहां अंग्रेजी और गणित पढ़ाई। अक्टूबर 2011 में मेरी जीवन यात्ना ने एक नया मोड़ लिया। मेरे सामने दो रास्ते थे। पहला मैं स्कूल में अध्यापक के रूप में काम करता रहूं या फिर दूसरा बैंक की नौकरी।
मेरा चयन स्टेट बैंक का हैदराबाद में लिपिक के रूप में हो गया था। स्कूल निदेशक से चल रहे मतभेदों ने मुङो अपना जुनून छोड़ने के लिए मजबूर किया और मैंने बैंक की नौकरी स्वीकार कर ली। शुरूआत में काम के दौरान संतुष्टि नहीं मिलती थी लेकिन अब आशा की किरण दिखाई देती है। बैंक में वरिष्ठ सहयोगियों की मदद से प्रंबधन ने अपनी सोच बदली और हम लोगों को भी कोर बैंकिंग समाधान सीखने को मौका मिला। हमें उम्मीद है कि बहुत जल्द ही हमें भी कोर बैंकिंग में कार्य करने का अवसर मिलेगा और हम अपने आप को साबित कर पायेगें कि हम भी इस काम के लायक है।
मेरे जीवन के अनुभव ने मुङो एक बात सिखाई कि उम्मीद कभी मत छोड़ो। कुश्ती में कहा भी जाता है कि व्यक्ति के जमीन पर गिरने से हार नहीं होती, हार तब होती है जब वह गिर कर उठने से मना कर देता है। मुङो मालूम है कि मैं किसी समय हार सकता हूं लेकिन मैं कभी भी नहीं हारूंगा गिर कर उठने से, हमेशा दोबारा से खड़ा होऊंगा।


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