डायबिटिक रेटिनोपैथी: क्या कहती है एलोपैथी

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डायबिटिक रेटिनोपैथी के बारे में दिल्ली से दिव्या साहू की डा. पुनीत गुप्ता से बातचीत

आंखों के मद्देनजर डायबिटीज को आप किस नजरिए से देखते हैं?
भारत में लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं। डायबिटीज भी इसी वजह से हो रही है। इससे जुड़ी समस्याएं बढ़ती हैं तो हार्ट डिसीज, नर्व पर असर की आशंका होती है। इसी तरह डायबिटीज का गंभीर असर आंखों पर भी होता है। आंख की रेटीना पर होने वाले प्रभाव को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। जिस तरह से डायबिटीज की बीमारी बढ़ रही है वैसे ही डायबिटिक रेटीनौपैथी के मामले भी सामने आ रहे हैं।

डायबिटिक रेटिनोपैथी किस तरह से हमें नुकसान पहुंचाती है?
डायबिटिक रेटिनोपैथीकी वजह से देखने की क्षमता प्रभावित होती है। यदि मरीज समय पर इलाज करा ले, तो इससे जुड़ी समस्या को दूर किया जा सकता है। नहीं तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते है, व्यक्ति दृष्टिहीन भी हो सकता है।
डायबिटीज से होने वाली आंखों की बीमारी के बचाव में अभी तक चिकित्सा विज्ञान में हुए विकास को कितना कारगर माना जा सकता है।
खास बात है कि डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज रेटीना विशेषज्ञ करते हैं। अब देश में विशेषज्ञ काफी है। पहले बहुत कम विशेषज्ञ थे। चिकित्सा विज्ञान के विकास की वजह से आंखों से जुड़ी जांच में हम बहुत आगे बढ़े हैं। रेटीना विशेषज्ञ मरीज की आंख की एंजियोग्राफी करते हैं, फिर रेटीना को स्कैन करते हैं, इससे डायबिटीज की वजह से रेटीना में होने वाले बदलावों को जाना जाता हैं।
इलाज के दौरान सबसे पहले डायबिटिक मरीजों की स्‍क्रीनिंग की जाती है। उनकी आखों का रेटीना की जांच किए बिना नेत्न जांच अधूरी है।
इसका इलाज कई तरह से होता हैं। इसमें लेजर ट्रीटमेंट का एक बड़ा रोल है। कुछ खास तरह के इंजेक्शन आते हैं, उन्हें एंटी वैस्कुलर एंडोथीलियल ग्रोथ फैक्टर के ग्रुप में रखा जाता है और यह भारत में उपलब्ध हैं। यदि कोई मरीज ऐसी स्थिति में आता है, जिनकी आंखों को ठीक नहीं कर सकते तो ऐसे में आंख के पर्दे की सर्जरी करके नेत्न ज्योति बचाई जा सकती है। यह काम रेटीना विशेषज्ञों के द्वारा ही किया जाता है।
सबसे जरूरी है समय पर डायबिटीज और डायबिटिक रेटिनोपैथीकी जांच होना। जब मरीज देर से डॉक्टर के पास जाते हैं तो उस तरह की नेत्न ज्योति नहीं आ पाती है, जैसा कि शुरुआती दौर के इलाज में हो सकता है। कई बार मरीज काफी देर से पहुंचते हैं, ऐसी अवस्था में उन्हें ठीक करना मुश्किल होता है।

दृष्टिहीनता के शिकार लोगों के लिए इस बीमारी के इलाज का भविष्य कैसा है?
चिकित्सा विज्ञान ने काफी तरक्की की है। यदि हम 22 साल पीछे जाते हैं तो पाते हैं कि उस समय डॉक्टर के देखते ही देखते मरीज दृष्टिहीन हो जाता था। डॉक्टर कुछ नहीं कर पाते थे। आज हम काफी हद तक दृष्टि को वापस लाने में सक्षम हैं। आगे आने वाले समय में और बेहतर चिकित्सा होने की उम्मीद है।

डायबिटीज और डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाव के लिए किस तरह की लाइफ स्टाइल अपनानी चाहिए?
हर व्यक्ति को डायबिटीज के प्रति जागरूक होना जरूरी है। फिजीशियन डॉक्टर की मदद से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि डायबिटीज को नियंत्रित रखा जाए तो आंखों में समस्या कम होगी। सबसे जरूरी है कि अगर आपको डायबिटीज है तो नेत्न विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। अगर आंखों में कोई दिक्कत भी नहीं तो कम से कम साल में एक बार जरूर दिखाएं। कई बार कम दिखाई देने की समस्या को लेकर डायबिटिक मरीज डॉक्टर के पास जाते हैं, तब तक रेटीना की समस्या काफी आगे बढ़ चुकी होती है। यदि शुरु आत में ही चिकित्सा शुरू कर दी जाए तो इसे जल्दी ठीक किया जा सकता है। सबसे ज्यादा जरूरी व्यायाम, खाने की आदत में बदलाव लाना है।

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